दोस्तों हमारे लिए बाबासाहब अंबेडकर का साहित्य यानी हमारी महत्वपूर्ण प्रोपर्टी हैं। बाबासाहब का विचार यानी उनका साहित्य हैं। जो महाराष्ट्र सरकार के पास हैं। हमे जितने बाबासाहब के पुतले महत्वपूर्ण लगते हैं उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण उनका साहित्य हैं। बाबासाहब हमारे बाप हैं। क्या हमारे बाप कि प्रोपर्टी यानी उनका पुरा साहित्य हमारे पास हैं? क्या जो साहित्य हैं उसमे भी कुछ मिलावट हैं ? आखिर कब तक यह साहित्य हमारे पास होगा ? और कितना साहित्य हमे मिलना बाकि है ? इन सारे सवालो के बारे मे हम आपके सामने यह जानकारी पेश कर रहे हैं।

** बाबासाहब द्वारा लिखित पुरा साहित्य महाराष्ट्र सरकार के पास हैं। बाबासाहब का साहित्य प्रकाशित करने हेतु महाराष्ट्र सरकार ने 15 मार्च 1976 को Dr. Babasaheb Ambedkar Source Material Publication Committee कि स्थापना की। यह Committee Education Department of Maharashtra के तहत काम करती हैं। इस Committee के अध्यक्ष शिक्षा मंत्री होते हैं।
वसंत मुन इस Committee के पहले Member Secretary (officer on special duty) थे। वसंत मून इन्होने अपने कार्यकाल मे बहोत अच्छा काम किया। उनके कार्यकाल मे बाबासाहब अंबेडकर के साहित्य के 17 वोल्युम प्रकाशित हूए और उन्होने 22 वोल्युम तक की फाईलिंग भी तयार कर रखी थी। वसंत मून 17 साल तक इस Committee के Member Secretary थे। उनके देहांत के बाद Committee का काम धीमे गती से चल रहा हैं।
बाबासाहब का साहित्य भारत मे बेस्ट सेलर साहित्य हैं।
महाराष्ट्र सरकार बाबासाहब का साहित्य अंग्रेजी मे प्रकाशित करता हैं जो बाबासाहब का मुल साहित्य हैं।

*** बाबासाहब के साहित्य के साथ छेडछाड
वोल्युम 17 के 300 पृष्ठ गायब:-
वोल्युम 17 वसंत मुन इन्होने अपने कार्यकाल मे ही पुरा किया था। वह पुरे 800 पृष्ठों का था। वसंत मून इनके देहांत के बाद नए Member Secretary ने वोल्युम 17 को पिछे लेते हुए कहा कि इसमे बहोत सी गलतीया हैं और वह गलतीया निकालकर उसमे से 300 पृष्ठों को गायब कर दिया गया और वोल्युम 17 सिर्फ 500 पृष्ठों का ही प्रकाशित किया गया।
एक दो शब्द या बाबासाहब के हस्ताक्षर या उसमे कुछ गलतीया होने कि वजह से एक लाईन गलत हो सकती हैं किंतु उसके लिए पूरे पृष्ठ को गलत करार देना क्या जायज है ?
कोई लाईन, शब्द या प्रिंट मिस्टेक हो तो उसके लिए 300 पृष्ठों को गायब करना यह बात कुछ हजम नही होती।
यानी बाबासाहब के साहित्य के साथ छेडछाड की हैं और यह बहोत गंभीर मुद्दा हैं।